भारत में सामाजिक व्यवस्था पर किए गए अध्ययन के अनुसार भारत में हर तीन में से एक किशोरी सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न को लेकर चिंतित रहती है जबकि पांच में से एक किशोरी बलात्कार सहित अन्य शारीरिक हमलों को लेकर डर के साए में जीती है। यह सर्वेक्षण ‘सेव द चिल्ड्रेन’ नामक संस्था द्वारा कराया गया है, जिसे मंगलवार को जारी किया गया। संस्था ने यह आंकड़े सव्रेक्षण के माध्यम से जुटाए हैं और यह सार्वजनिक स्थानों पर लड़कियों की सुरक्षा को लेकर धारणा पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार शहरी और ग्रामीण क्...
Continue Readingभारत नदियों, झीलों, पोखर-तालाबों से समृद्ध गावों का देश था। 1947 के बाद जब अँग्रेजी सत्ता उन भारतीयों के हांथ में आई जो अँग्रेजी सत्ता को ही अपना आदर्श मानते थे तब से भारत की नदियों को बेचने का अपकर्म, पोखर-तालाबों को पाट कर शहर – उद्योग बसाने का अपकार्य शुरू हुआ। आज के भारत की स्थिति यह है की तीन चोथाई नदियां सूख चुकी है। कुछ में तो केवल वर्षा ऋतु में ही जल का प्रवाह रहता है। शेष समय शीतलता छोड़ सूर्य के ताप में अग्नि उगलती है। कुछ ही नदियां सदानीरा हैं, जिनमें हमेशा पानी रहता है, गंगा-यमुना...
Continue Readingत्रिपुरा का लाल किला ढह गया। अर्थात – वामपंथियों की सत्ता गई। पश्चिम बंगाल के बाद वामपंथियों की यह दूसरी लाल किला है जो उनके हांथ से गई। अब तो केवल केरल ही है जो उनकी इज्जत को बचा रखा है। और वहाँ भी उन्हें वहाँ की जनता कब सत्ता से बेदखल कर देगी, पता नहीं। अत देश की चारों वामपंथी पार्टियों को अपने भविष्य के प्रति चिंतित सता रही है साथ ही सजग भी कर रही है। लेकिन प्रश्न है की क्या इससे उन विचारों मे परिवर्तन आ रहा है जिसकी नीव पर यह स्थापित हुआ था। आंकड़े कुछ ओर बोलते हैं। गृह मंत्रालय के अनुसा...
Continue Readingभारत में मदरसों की शिक्षा पर जब भी सवाल उठाए जाते हैं हाय तौबा मच जाती है लेकिन अब स्वयं पाकिस्तान ही मानने लगा है कि मदरसों में कई ऐसी शैक्षणिक संबंधी गतिविधियां हो रही है जिसके कारण हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है और इस पर अंकुश लगाना जरुरी है। इसके कुछ प्रमाण हैं – पाकिस्तान के पेशावर में पिछले साल तालिबान के हमले में १४० लोगों के मारे जाने के कुछ दिन बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने एक सुरक्षा योजना का ऐलान किया था। इसमें तय किया गया था कि ऐसे चरमपंथियों के खिलाफ कड़ी करवाई की जाएगी। इसी के तह...
Continue Readingआज गुजरात-राजस्थान सीमा, उडीसा, पश्चिम बंगाल एक ओर बाढ़ की मार झेल रहा है तो दूसरी ओर शेष भारत में न्यूनतम से भी कम वर्षा है। महाराष्ट्र का कोंकण, गोवा आदि क्षेत्रों में भी छिट-फूट वर्षा विगत सप्ताह से शुरु हुई है जबकि इन क्षेत्रों में मौनसून १५ जून के बाद ही आ जाती है और कई दिनों तक लगातार वर्षा होने का इतिहास रहा है। ऐसी ही हालत कांचीपुरम जिला सहित तमिलनाडु के कई जिलों में भी है। प्रश्न उठता है कि मौसम का चक्र इतना वैâसे गड़बड़ हुआ ? इससे सबसे बड़ी समस्या यह उठ खड़ी हुई है कि जितनी वर्षा धीरे...
Continue Readingआज के भारत में बीस करोड़ ऐसे किसान हैं जिनके पास अपनी भूमि नहीं है। दूसरे किसान की खेती करते हैं या फिर खेतों में मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। इनके जीवन में कभी ऐसा मौका नहीं आता कि वे कृषि कर्म के लिए बैंक से कर्ज लें, कृषि करें और फिर फसल नष्ट हो जाए, बैंक के कर्ज चुका नहीं पाएं और अंतत: बैंक उनके संपत्ति को निलाम कर दे। फिर भी प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जिनमें से महाराष्ट्र और आन्ध्रप्रदेश के किसान क्रमश: पहले और दूसरे नम्बर पर हैं। आत्महत्या वे किसान कर रहे हैं जिनके पास थोड़ी...
Continue Readingचेन्नै। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर और अभी तक तमिलनाडु प्रदेश का इतिहास रहा है कि वह कभी भी केन्द्रीय राजनीति में हिस्सा नहीं लिया है। जब – जब केन्द्रीय स्तर पर ऐसे आंदोलनों का धुआं उङ्गा है तमिलनाडु ने बड़ी धैर्यता के साथ प्रतिक्षा किया है और जब आंदोलन की लपेट में पूरा देश तप रहा होता है तब वह अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। अभी – अभी मैगी मामले को ही देख लें। जब पूरे भारत के समाचार पत्र मैगी की खबर से रंग गए और मीडिया नए रंग की तलाश में जुड़ गया तब कहीं जाकर तमिलनाडु में मामला गरमाया। भ...
Continue Readingचेन्नै। आज केवल भारत में ही नहीं संसार के मानचित्र पर ईसाई समुदाय की जनसंख्या तेजी के साथ बढ़ रही है इसके पीछे के कारणों को टटोलें तो स्पष्ट दिखलाई देता है कि यह तो यूरोप का विस्तार ही है जिसे विश्व के कई देश की सरकारें समझ नहीं पा रही है। यह संसार धीरे – धीरे एक ऐसे ही अंतरजाल में पंâसता जा रहा है जहां पर विनाशकारी भौतिकतावदी की पहचान रह जाएगी। इस संबंध में राजनैतिक विश्लेषक बनवारी लिखते हैं कि यूरोप के पास विश्व की अपनी ६.८ प्रतिशत भूमि ही है। पोप एलेक्जेंडर षष्टम ने ४ मई १४९३ को एक आदेश ...
Continue Readingचेन्नै। दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम अब होगा एपीजे अब्दुल कलाम रोड। औरंगजेब रोड पर ही पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का भी बंगला है। नामों को बदलने की कहानी कुछ इस प्रकार है – देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद १, विक्टोरिया रोड के बंगले में रहे। इसलिए यह रोड हो गई राजेंद्र प्रसाद रोड। यह रोड शास्त्री भवन के ठीक आगे है। जिस कृष्ण मेनन मार्ग में आजकल अटल बिहारी वाजपेयी रहते हैं, इसे कभी कहते थे हेस्टिंग्स रोड। इधर ही रक्षा मंत्री रहने के दौर में कृष्ण मेनन भी रहे। शायद इसलिए यह र...
Continue Readingचेन्नै। केवल भारत में ही नहीं बल्कि संसार भर में आज रासायनिक धूप जलाई जा रही है। इन सुगंधित अगरबत्तियों और धूप बत्तियों से निकलने वाला धुंआ शरीर की कोशिकाओं के लिए सिगरेट के धुंए से अधिक जहरीला साबित हो रहा है। शोधकर्ताओं ने सिगरेट के धुंए की अगरबत्ती के धुंए से तुलना की और पाया कि रासायनिक अगरबत्ती का धुंआ कोशिकाओं में जेनेटिक म्यूटेशन करता है। इससे कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव होता है, जिससे वैंâसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इस सर्वेक्षण को ब्रिटेन की एक एजेंसी ने किया है। जिसके पीछे दो कारण ह...
Continue Readingआज संसार में दो शब्द “जी.एम.” और “हाईब्रीड” उस प्रेत की भांति मनुष्य की आयु को खा रहा है जिस प्रेत की त्रास से बचने के लिए कोई झाड-फूंक नहीं है. “जी.एम.” जो जेनेटिक मोडिफायड है. और “हाईब्रीड” जिसे हाई इल्ड कहा जा रहा है. जेनेटिक मोडिफायड का मतलब है उसके बीज के “जीन” में परिवर्तन किया हुआ. “जीन” उस बीज का सबसे सुक्ष्म हिस्सा है जिसके समूह से उस बीज के “सेल्स” बने हैं. एक बीज में करोड़ो “सेल्स” होते हैं. और “सेल्स” अपने-आप में सम्पूर्ण होता है. हर “सेल्स” के पास तीन उर्जायें होती है. 1) शिवउर्जा...
Continue Readingअर्थात उत्तम खेती (कृषि कार्य )हमारे समाज में सर्वोत्तम कार्य है, माध्यम बान( व्यापार) – व्यापार को मध्यम स्तर का कार्य कहा गया है । चाकरी माने नौकरी को निकृष्ट कार्य कहा गया है इसे कुत्ते की तरह दुम हिलाने जैसी संज्ञाएँ हमारे बुजुर्ग देते आये हैं। सदियों से चली आयी ये भारतीय अवधारणा आज बिलकुल उलटी हो गयी है। और जब से हमने इसे उलटा है हम विनाश की ओर ही अग्रसर हो रहे हैं। अगर इस कहावत को सही परिपेक्ष्य में हमारा समाज और हमारे राजनेता समझ लें तो देश की अनेकों समस्याएं चुटकियों में सुलझ जाएँ।...
Continue Readingअर्थात उत्तम खेती (कृषि कार्य )हमारे समाज में सर्वोत्तम कार्य है, माध्यम बान( व्यापार) – व्यापार को मध्यम स्तर का कार्य कहा गया है । चाकरी माने नौकरी को निकृष्ट कार्य कहा गया है इसे कुत्ते की तरह दुम हिलाने जैसी संज्ञाएँ हमारे बुजुर्ग देते आये हैं। सदियों से चली आयी ये भारतीय अवधारणा आज बिलकुल उलटी हो गयी है। और जब से हमने इसे उलटा है हम विनाश की ओर ही अग्रसर हो रहे हैं। अगर इस कहावत को सही परिपेक्ष्य में हमारा समाज और हमारे राजनेता समझ लें तो देश की अनेकों समस्याएं चुटकियों में सुलझ जाएँ।...
Continue Readingभारत में किसानों की आत्महत्या तो समझ में आती है क्योंकि कर्ज से लड़ता हुआ किसान विजय माल्या तो नहीं हो सकता। उसे तो कर्ज के प्रति जिम्मेदारी भी है और समाज में कर्ज मुक्त जीवन जीने की लालशा भी। ऐसे में वे किसान ही आत्म हत्या कर रहे हैं जो चमक – दमक वाली कृषि (केमिकल्स आधारित) करने पर ऊतारु हैं। लेकिन अब जो आंकड़े नजर आ रहे हैं वे किसानों के भूख से मरने के हैं। बचपन के दिनों से हम पढ़ते आ रहे हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है मगर २१ वीं सदी के भारत में इस कृषि की हालत बदतर होती जा रही है। अन्नदाता...
Continue Readingआज कल के किशारों और युवाओं में अंतरजाल के प्रति जो लगाव बढ़ा है उससे उनमें ज्ञान की कमी आई है जबकि सूचना बढ़ी है। यहां पर प्रश्न निकलता है कि क्या सूचना ही ज्ञान है ? बिलकुल नहीं सूचना का ज्ञान से कोई लेना – देना नहीं है। यही कारण है कि आजकल की युवा पीढ़ी पढ़ने – लिखने में पिछड़ रही है, यानी भारत एक बेहतर राष्ट्र होने से पिछड़ रहा है। इंटरनेट और तकनीकी शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों के बीच जो गहरा लगाव उपजा है, उससे साहित्य और मानविकी जैसे विषयों को पढ़ने – पढ़ाने की परंपरा को हानि पहुंच रही है। दू...
Continue Readingप्रकृति ने हमारा शरीर इस प्रकार बनाया है कि हम ज्यादा तेज गति से दौड़ नहीं सकते हैं। गति धीमी हो यही मनुष्य की प्रकृति है। ऐसे में इसके उल्टे जो कुछ भी किया जाता है वह सब कुछ शरीर की प्रकृति के विरुद्ध होता है। हमने तेज गति के लिए मोटर सायकल और कारें बनाई, हवाई जहाज बनाए। लेकिन इसके दुष्परिणाम को भी भुगता है। यही कारण रहा कि भारत में आण्विक ऊर्जा के अद्भुत विज्ञान तो विकसित हुए लेकिन वाहन के रूप में बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी ही बनाए गए। पश्चिम के भौतिक विकास ने इसके उल्टे मोटर कारें आदि बनाए। इसक...
Continue Readingराष्ट्र की सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में पहले से ही भारत की बेटियों ने अपना स्थान बना लिया है। राष्ट्र पर मर मिटने की जजबात को पूरा कर रही हैं। सीमा सुरक्षा में बेटियों ने अपनी बलीदानी भी दी है। हवा में हवा से मार करने के लिए बेटियों को वायु सेना में भी सामिल किया जा सकता है। अभी उन्हें लड़ाकु विमानों पर सवार होने की अनुमती नहीं मिली है लेकिन वह समय भी दूर नहीं जब वे लड़ाकु विमानों पर सवार होकर दुश्मनों को पस्त करेंगी। इतना ही नहीं अब तो समुद्री सीमा की रखवाली भी सौंपी गई है। महिलाओं के बढ़ते क...
Continue Readingनिरोगी भारत यात्रा का राजस्थान प्रवास – राजस्थान के लोगों में गाय के प्रति अगाध प्रेम है लेकिन आस्था धीरे – धीरे कमती जा रही है। कारण स्पष्ट है – गाय की उपयोगिता कमती जा रही है। यहां पर कई संगठन हैं जो गाय के विषय को लेकर चंदा इकट्ठा करने का कार्य करते हैं और फिर उसका वितरण जरुरत वाले गौशालाओं में की जाती है। गौ सेवा का ऐसा तरीका राजस्थान में ही देखने को मिला। इसके कई सुखद अनुभव भी हैं और कई कड़वे भी। इससे उन गौशालाओं को सहायता मिलती है जिन्हें चंदा नहीं मिलता अथवा जिनके पास चंदा मांगने का साह...
Continue Readingवेद प्राचीन भारत का विज्ञान है। यह केवल भारत के संदर्भ में ही अवतरित किया गया हो ऐसा भी नहीं है। यह तो विश्व मात्र के कल्याण के लिए ब्रह्मकणों द्वारा रचित है। इनकी भाषा संस्कृत है। वेदों में दुनिया का प्राचीनतम विज्ञान और दर्शन है। ज्ञान और विज्ञान की पूर्वज सिद्धि ही वेद प्रसिद्धि का मूल है। संस्कृत में शब्द बाद में आए, पहले श्वर आया। इसीलिए वेदों की ऋचाएं श्वर में है। शब्दों में उनके भाव नहीं है। शब्दों से तरंगें उत्पन्न नहीं होती, वे श्वर से उत्पन्न होती हैं। इन्हीं तरंगों से भौतिक विश्व ...
Continue Readingनेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जीवन वर्मा युद्ध के बाद वैâसा और कहां था, इस बात को लेकर अभी तक संसय बना हुआ है। प्रतिवर्ष कुछ न कुछ अटकलें लगती रही है लेकिन हमारी सरकारें कभी भी इस बात के लिए गंभीर नहीं दिखी हैं। चाहे कांग्रेस की सरकार हो या फिर भारतीय जनता पार्टी की या और कोई सरकार रही हो। इस विषय को लेकर सभी दलों की समरूप नीति रही है। इसी वर्ष मोदीजी नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने कहा था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इसके बाद भी सुश्री ममता बनर...
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