मेकोले एडुकेशन ने शिक्षा के क्षेत्र में जो तबाही मचा रखा है वह सीमा से पर है. आंकड़े गवाह हैं कि देश में हर घंटे एक छात्र अपना जीवन समाप्त कर रहा है। प्रतिदिन 24 बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं. यह अपने आप में कितनी बड़ी तबाही है ? परंतु इसको लेकर कोई गंभीर नहीं है। ना तो परिवार वाले, न स्कूल / कॉलेज वाले, न ही उसके प्रबंधन वाले और अंतत: सरकार के पास हिम्मत ही नहीं है की वह शिक्षा का स्वदेशीकरण कर सके. जब भी छोटे प्रयास हुए हैं वामपंथियों और टाईधारियों की बिरादरी ने इसका भगवाकरण कह कर रुकवाया है. ...
Continue Reading500 और 1000 के नोटों का बंद होना देश के लिए एक ऐतिहासिक घटना बन चुका है। मोदी जी की कूटनीति अब राष्ट्रहित नीति बन गयी है। 8 नवम्बर का दिन अब भ्रष्टाचार मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाये और योग दिवस की ही भाँती हमें इसे मनाने में गर्व ही होगा। आजादी के बाद पहली बार लगा मानो कोई निर्णय काले अंग्रेजों ने ना लिया हो बल्कि किसी भारतीय ने लिया हो। बड़े नोटों को बदलने का देश पर दूरगामी परिणाम होगा। रातों रात कश्मीर के आतंकवाद पर जैसे किसी ने परमाणु बम डाल दिया हो। पाकिस्तान के द्वारा नकली मुद्रा रूप...
Continue Readingमहात्मा गांधी ने अंगरेजों से लड़ते हुए स्पष्ट कहा और किया – जब दुश्मन शक्ति में भारी पड़े तो उसे जीतने के लिए उसकी आमदनी की स्पलाई लाईन काट डलो। अर्थात् उसके द्वारा बाजार में ऊतारी गई वस्तुओं का वहिष्कार कर दो। उसकी आमदनी की स्पलाई लाईन कट जाएगी। इसी योजना के अंतर्गत उन्होंने अंगरेजी कपड़ों की होलियां जलवाई। भारत के चौराहों पर बिलायती (ब्रिटेन और मैनचेस्टर) की बनी कपड़े जला दी गई थी। ऐसा कर पाना संभव हुआ था इसके दो कारण थे। १) उन दिनों तक भारत के लोगों में राष्ट्र के प्रति अगाद प्रेम था। २) वहिष्...
Continue Reading‘मेक इन इंडिया’, ‘स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया’ में कहां है स्वदेशी भाव ? आज-कल भारत के प्रत्येक नुक्कड़ पर चीन ही चीन दिखलाई देता है। चीनी नूडल्स का तो क्या कहना, अब तो देशी के ऊपर सर चढ़कर बोल रहा है। हिन्दी में शक्कर को चीनी कहते हैं। इतना ही नहीं बिमारी में चीनी का भी बड़ा बोल-बाल है। चीनिया केला और चीनिया बादाम (मूंगफली) भी उत्तर भारत में मिलते ही है। राजपथ पर मोदी सरकार ने जोर-शोर से योग दिवस मनाने का एलान किया था तो पता चला कि चीन में बनी चटाइयों पर ही भारतीय शीर्षासन किए। दिवाली पर न...
Continue Readingदिल्ली में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद द्वारा पांचवां रोमा सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में विदेशों में दर-दर भटकते भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक रोमाओं की चिंता सामने आई। दावा किया जाता है कि दुनिया भर में फैले रोमा समुदाय के लोग भारत के वंशज हैं। भारत में आज भी कुछ ऐसी जातियां हैं जो अपना घर बनाकर नहीं रहती। आज यहां कल वहां ; ऐसे ही उनकी जिन्दगी चलती रहती है। ऐसे में ही वे अपने बच्चों की शादी आदि सभी संस्कार करते हैं। यही जातियां पश्चिम के कई देशों में फै...
Continue Readingआज संसार में जितने भी तकनीक हैं उनका आधार और मूल दस्तावेज कहीं न कहीं संस्कृत भाषा में है। कारण ; पश्चिम के उदय के पूर्व संसार में विद्या-उपार्जन के लिए लोगों को भारत आना पड़ता था और वे संस्कृत ही पढ़ते थे। नालंदा, तक्षशिला और ऐसे कई विश्वविद्यालयों के दस्तावेज बताते हैं कि उन दिनों भारत में १८ प्रकार के विषयों की पढ़ाई की जात्ी थी। जिनमें से आयुर्वेद एक प्रमुख विषय था, जिसमें जीवन को बढ़ाने का विज्ञान पढ़ाया जाता था। इसी प्रकार भूगोल, मौसम विज्ञान, धातु विज्ञान, मिट्टी विज्ञान, लकड़ी विज्ञान, कृषि...
Continue Readingदेश की शिक्षा में सुधार कैसे हो इस विषय पर पिछले ६८ वर्षों से सोचा जा रहा है। कभी उसे नास्तिक रंग में रंगा जाता है तो कभी उस पर हिन्दूवादी होने का आरोप लगता है। लेकिन सुधार के आधार नहीं दिखलाई दे रहे हैं। प्रश्न यही है कि इस पर कभी भी भारत के भूगोल और उसकी प्रकृति के रंग में रंग कर नहीं सोचा गया। न ही कार्य किए गए। ऐसे में भला वैâसे सरकारी नियंत्रण वाले प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधर पाए ? जबतक इन प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा के सुधार के लिए जब तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया ज...
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