सरकारी दावे सुनने मे बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन हकीकत में उसे बदलना उतना ही मुश्किल होता है। ऐसा ही एक लक्ष्य मोदीजी ने रखा है - टीबी को खत्म कर देने का, पर मोदी जी यह स्पष्ट नहीं करते हैं की आखिर इसे कैसे समाप्त किया जाएगा ? स्पष्ट है की टीबी रोग में मुख्य भूमिका वायु प्रदूषण का होता है। फिर वायु प्रदूषण के बारे में सरकार क्यों कुछ नहीं बोलती। प्रस्तुत है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बिन सोचे समझे की गयी घोषणा - नई दिल्ली में आयोजित टीबी उन्मूलन शिखिर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि सरक...
Continue Readingकम से कम विज्ञान ने इतना तो स्वीकार कर ही लिया है की जीवों का शरीर पाँच महाभूतों से बना है। जिसमें भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश है। हालांकि यह विषय और आगे तक जाती है। उपरोक्त पाँच में से जल और वायु प्रदूषण के बारे में सरकारें कभी - कभी सोचती है। चिंता जताती है। अभी तक सरकारों की समझ भूमि, अग्नि और वायु की नहीं बनी है। उससे ऊपर के विषय की बात तो कोसों दूर है। समझते हैं की विज्ञान अभी तक विषय को कहाँ तक सोच पाया है - प्रदूषण जिससे आज कोई भी अछूता नहीं है। मनुष्य पेड़-पौधे, वनस्पतियां और जीव...
Continue Readingइससे डायबिटीज़ टाईप २, हृदय रोग और कैंसर रोग होने का गंभीर ख़तरा आयुर्वेद पहले से ही कहते रहे हैं कि अच्छी सेहत के लिए भरपूर नींद जरुरी है। नींद के विषय भारतीय चिकित्सा शास्त्रों का स्पष्ट मत रहा है कि रात्रि सोने के लिए है और दिन कार्य करने के लिए। लेकिन पश्चिम की अपसंस्कृति ने रात्रि में कार्य करने पर बल देता रहा। खासकर मस्तिष्क से जुड़े कार्यों में विशेष कर रात्रि का ही चयन किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों में कई देशों में हुए अध्ययन इस बात की ओर इशारा करते ह...
Continue Readingयह तो हम जानते हैं कि नींद हमारे लिए कितनी ज़रूरी है। सामान्यतः एक इंसान अपनी जिंदगी का एक तिहाई सोने में बिता देता है। हालांकि हम अभी तक यह नहीं जानते कि हमें नींद की ज़रूरत क्यों होती है, हालांकि हमें इतना तो पता है कि यह ज़रूरी है और इसके बिना फ़ैसले लेने, याद रखने, बोलने जैसी मानसिक शक्तियां क्षीण होने लगती हैं। लेकिन एक शोध के अनुसार अगर आप पर्याप्त नहीं सोते हैं तो आपकी जिंदगी के साल काफ़ी कम हो सकते हैं। अत: छक कर सोएं और स्वस्थ, सक्रिय, लंबी जिंदगी जीएं। नींद का विज्ञान अपने आप में बेहद...
Continue Readingचेन्नै। भारत की ६५ फिसदी ग्रामीण जनसंख्या को जरुरी और आपात चिकित्सा उपलब्ध कराने की दिशा में जिस नर्स प्रैक्टिशनर के कोर्स को केंद्र सरकार ने विगत अप्रैल २०१५ में मंजूरी दी थी लेकिन इसे इंडियन मेडिकल काउंसिल (सरकार नियंत्रित संगङ्गन) ने नकार दिया है। प्रश्न उङ्गता है कि क्या इंडियन मेडिकल काउंसिल की सोच केवल शहर केंद्रित है? जहां से चिकित्सा के लिए पैसे उगाहे जाते हैं। ऐसा नहीं है डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी करने के लिए प्रेरित करने को लेकर काउंसिल क्या कर रही है? इस प्रश्न का उत...
Continue Readingफिरंगी मेकॉले की डायरी के शब्द (वर्ष १८३४) ‘मैंने भारत के गांव – गांव, शहर – शहर को छान मारा लेकिन इस देश में कोई भी व्यक्ति गंभीर रूप से बिमार, भीखारी और बेरोजगार नहीं मिला।’ संसार के मानचित्र में ऐसा अद्भुत देश था हमारा भारत। वर्ष १८३४ – अंगरेजों की संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) लंदन में बैठती है और बहस होती है कि यदि भारत को सदियों तक गुलाम बनाकर रखना है तो इस देश को बिमार, भीखारी और बेरोजगार बनाना पड़ेगा। सभी गोरे एकमत होते हैं। यह कार्य वैâसे किया जाए इस पर कई दिनों तक बहस होती है। अंत में निर...
Continue Readingभारत में फिर से गुरुकुलीय शिक्षा व्यवस्था खड़ी हो, भारत के लोग फिर से निरोगी बनें – इस सोच के साथ ’‘गऊमाँ से निरोगी भारत यात्रा’’ कासरगोड़ जिला के कांजगाड़ से शुरु होकर केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम में १५ सितम्बर को समाप्त हुआ। यह यात्रा मुख्य रूप से कोजिकोड़, कोडगरा व इरिंगलकोड़ा (त्रिशूर जिला), परउर व कोदमंगलम (एरनाकुलम जिला), अडिमाली (इडकी जिला), चेंगनूर व चेयरतला (अळपूळा जिला) होते हुए ओचिरा और अंत में त्रिवेन्द्रम में समापन हुआ। इस दौरान केरल को बड़ी गहराई के साथ समझने का मौका मिला। जिसमें ...
Continue Reading‘‘भारत निरोगी यात्रा’’ का दूसरा पड़ाव राजस्थान। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी निरोगी लोगों की कमी नहीं है। लेकिन जयपुर में बिमारों की कोई कमी नहीं है। यहां के लोगों में कैनसर से लेकर मधुमेह अधिक है। चर्मरोग के रोगियों की भी कोई कमी नहीं है। महिलाओं में बांझपन और प्रजनणतंत्र के रोग भी बहुतायत हैंं। राजस्थान की तुलना यदि केरल से की जाए तो स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है कि राजस्थान कम शाक्षर होकर भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में केरल से बहुत बेहतर है। राजस्थान यह तथ्य को प्रमाणित करता है ...
Continue Readingभारत में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल इतना बुरा है कि इक्के-दुक्के लोग ही दिल खोल कर कह सकते हैं कि वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, निरोगी है। भारत सरकार और प्रदेश सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, रोगी के लिए प्रयाप्त डॉक्टर, विभिन्न रोगों के कारण होने वाली मौतें, संक्रामक बीमारियों पर काबू पाने में विफलता आदि को लेकर आंकड़े आते हैं। आंकड़े बताते हैं कि १३०० लोग प्रतिदिन कैंसर से मर रहे हैं, प्रतिदिन २५०० लो...
Continue Readingकल तक के भारत में प्यासे को पानी पिलाना सबसे पूण्य कर्म था। जहां – जहां पानी की कमी है वहां के लोग ग्रीष्म ऋतु में अपनी कमाई का एक हिस्सा पानी पिलाने में ही लगा देते थे। ग्रीष्म ऋतु शुरु होते ही जिधर भी देखें प्याऊ दिखलाई देता था। पिछले कुछ १०-१५ वर्षों में जब से विदेशी कंपनियां भारत में फिर से आई, पानी जो पुण्य का हिस्सा था अब व्यापार का विषय बन गया है। प्याऊ के क्षेत्र में राजस्थानी सबसे आगे रहते थे। अब राजस्थानी ही पानी बेचने के धंधे में भी आगे आ गए हैं। इसके बीच पानी को व्यापार बनाने के ...
Continue Readingनिरोगी भारत यात्रा के दौरान पिछले सप्ताह गड़चिरौली का प्रवास रहा। यह महाराष्ट्र का वह हिस्सा है जहां से छत्तिसगढ़ और आन्ध्रप्रदेश का प्रारंभ होता है। अत: इस क्षेत्र की संस्कृति वनवासियों से मिलती – जुलती है। तेलुगु परंपरा का प्रारंभ भी यहीं से है। कभी यह क्षेत्र घना जंगल था जो अब समतल उपजाऊ क्षेत्र में तब्दिल हो गया है। यहां आते – आते वाणगंगा का प्रवाह रूक सा गया है। बांधों ने उन्हें मृतप्राय कर दिया है। अभी भी यह क्षेत्र नक्सली के प्रभाव में है। उनका मुख्य धारा से जुड़ना नहीं हो पा रहा है। उनकी...
Continue Readingचिकित्सा लेने वाले लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि परामर्श लेने वाले ५० प्रतिशत से अधिक लोग या तो यौन संबंधी परेशानियों के बारे में सलाह लेते हैं या मानसिक समस्याओं को लेकर डॉक्टरों के पास जाते हैं। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में इसकी जानकारी मिली है। सर्वेक्षण में बात सामने आई है कि यौन संबंधी (३२ प्रतिशत), मानसिक रोग (२१ प्रतिशत), जीवनशैली से जुड़े (१५ प्रतिशत), आहार और पोषण संबंधी (१२ फीसदी), महिलाओं की सेहत से जुड़े (११ प्रतिशत), त्वचा संबंधी (५ प्रतिशत) और ...
Continue Readingआज का भारत पूरी तरह से बिमार है। अंगरेजों के पूर्व का भारत निरोगी था। अंगरेजों के जाने के समय का भारत भी लगभग निरोगी था। फिर ६८ वर्षों में काले अंगरेजों ने ऐसा क्या किया कि आज का भारत रोगी भारत हो गया ? विज्ञापनों में असत्य दिखलाने की खुली छूट और सभी भोज्य वस्तुओं का पूरी तरह से बाजारीकरण। भारत की भोली-भाली जनता द्वारा उन विज्ञापनों को सच मान लेना। सरकार द्वारा एलोपैथी चिकित्सा को सर पर चढ़ा लेना, एन्टीबायोटिक्स का खुलेआम उपयोग आदि कारण गिनाए जा सकते हैं। इसमें जंक फूड का प्रचार – प्रसार...
Continue Readingभारत में किसे नहीं पता है कि शराब पीने और पिलाने के कारण कई लाख परिवार गरीबी रेखा से नीचे होते जा रहे हैं। शराब के कारण उनकी आर्थिक ताकत प्रतिदिन ५० रुपये खर्च करने इतना भी नहीं रह गया है। मनरेगा में १७५ रुपये प्रतिदिन मिलते हैं, १२० से १४० रुयपे विदेशी शराब में जाती है। शेष ३५-४० रुपये में वैâसे परिवार पले ? घर की महिलाएं परेशान हैं। उन्हें पति के अलावा बच्चों का भी ख्याल रखना पड़ता है। उनकी पढ़ाई पर भी खर्च होते हैं। वैâसे घर चलाएं ? यह जग जाहिर है फिर भी केन्द्र की सरकार और न्यायालय के न्...
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