+91 8 9500 95000

  • भारत और भारतीयतता की स्थापना के इस आन्दोलन में आपका स्वागत

    यह अंतर्जाल (वेब साईट) महर्षि वाग्भट्टजी और अमर बलिदानी राजीव भाई दीक्षित को समर्पित है. यहाँ पर अभी सात विभाग हैं. 1) महर्षि वाग्भट्ट गोशाला 2) पंचगव्य गुरुकुलम 3) पंचगव्य उत्पादन केंद्र 4) पंचगव्य अनुसन्धान केंद्र 5) पंचगव्य चिकित्सालय 6) पंचगव्य विश्वविद्यालय और 7) पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन. ये सभी विभाग स्वावलंबी व्यवस्था में संचालित होते हैं. इसकी स्थापना सर्वप्रथम वर्ष 1999 में अ. ब. राजीव भाई दीक्षित की प्रेरणा और उनके कर कमलों से एक जैविक कृषि केंद्र के रूप में हुई थी. वर्ष भर बाद गोशाला की स्थापना हुई. इसके साथ ही विकाश का क्रम जरी रहा और आज महर्षि वाग्भट्ट गोशाला के पास ही एक नए भूभाग में पंचगव्य विश्वविद्यालय की स्थापना आगामी (9 मई, वर्ष 2016) अक्षयतृतीय को की जा रही है. यह एक गुरुकुलिए विश्वविद्यालय होगा. जो भारतीये पोराणिक तकनीकी ज्ञान को समर्पित गुरुकुलिये विश्व विद्यालय होगा. यहाँ पर पंचगव्य के माध्यम से शल्य चिकित्सा का विकाश, गोमाता के विज्ञान के कई विषयों में विद्यावारिधि (P.hd) तक की पढाई. पंचगव्य मेडिसिन प्रिप्रेशन टेक्नोलॉजी (PMPT गव्य फार्मेशी) एडवांस पंचगव्य थेरेपी, गव्य इंजीनियरिंग एवं टेकनोलाजी एवं गोशाला निर्माण के लिए अलग से सिविल इंजिनीअरिंग आदि की पढाई होगी. हमारे इस अभियान का एक मात्र उद्देश्य भारत को गोमाता से सबल, समृद्ध और स्वावलंबी बनाना है.

  • आगे पढे

    पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन छायाचित्र, स्वर्ण पदक से सन्मानित गव्यसिद्धर, भारत की गायें, गुरुकुल की वनस्पतियां आदी

    सांस्कृतिक उत्सव

    गऊउत्सव

    गऊविज्ञान की कथा / साक्षात्कार

    प्रतिक्रिया