सतयुग से लेकर कलियुग के प्रारम्भ तक गाये और उनके गव्यों पर इतने शोध हुए और इतने सूत्र तैयार किये गये कि उन दिनों भारत में शायद ही कोर्इ व्यकित बीमार पड़ता हो। अंग्रेज मैकालय ने भी अपनी डायरी में लिखा है कि भारत भ्रमण के दौरान उसने कभी किसी गंभीर रोग से ग्रस्त भारतीय को नहीं देखा।
फिर अंग्रेजों ने ऐसी ऐसी नीतियों बनाई जिसके कारण भारत की पैराणिक व्यवस्थाएं टूट कर बिखर गर्इं। मनुष्य जीवन का पहला सुरक्षा कवच “गाय” उसके जीवन से अलग कर दी गयी। दूसरा सुरक्षा कवच वनस्पतियों में श्रेष्ट “तुलसी” घर के आंगन से लुप्त हो गई ।
सच कहें तो घर की बनावट से ही आंगन में तुलसी का पोधा लुप्त हो गया जहां तुलसी के पौधे का निवास था। तीसरा सुरक्षा कवच घर का “रसोर्इ घर” था। जो अब किचन में बदल कर लुप्त हो गया है।
इस कारण से आज के भारत देश के ज्यादातर लोग गंभीर रुप से बीमार हैं। यही विषय था जो हम सभी को सोच मे डाला करता था। कुछ करने को प्रेरित करता था।
एक दिन रास्ता मिल गया। गाय और उसके शरीर में निहित सभी देवताओं ने हमारी दृष्टी से अंधेरे को हटा दिया। यही वह समय था जब गाय और उसके विज्ञान को पुन: जीवित कर फिर से ऐेसे भारत का निर्माण करने की राह दिखी जिसमें कोर्इ भी व्यकित बीमार न हो।
आज वैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो गया है कि गाय और उसके गव्य इस धरती पर अमृत है।
अमृत की जो व्याख्या वेदों में है आज के वैज्ञानिक भी उसी व्याख्या को अमृत की सही व्याख्या बता रहे हैं।
हमारा यह शारीर पञ्च अमुल्य तत्वों से बना है. 1) आकाश, 2) जल, 3) अग्नि, 4) वायु एवं 5) पृथ्वी. और इन्ही में कमी और अधिकता के कारण रोग होते हैं. अतः इनके संतुलन के लिए गोमाता से भी हमें पञ्च ऐसे तत्व मिलते हैं जिनकी सहायता से हमारे शारीर के पंचों तत्व संतुलित रहते हैं. वे पंचों तत्व हैं. – 1) दूध, 2) गोबर, 3) गोमूत्र, 4) छाछ, मटठा, मझिगा, मोर, तक्र, ताक आदि एवं 5) घी. वास्तव में इन्ही पंचों तत्वों का सम्बन्ध हमारे शारीर के पंचों तत्वों के साथ हैं.
1) आकाश तत्व का सम्बन्ध छाछ के साथ है. 2) जल तत्व का सम्बन्ध दूध के साथ है. 3) अग्नि तत्व का सम्बन्ध घी के साथ है. 4) वायु तत्व का सम्बन्ध गोमूत्र के साथ है. और 5) पृथ्वी तत्व का सम्बन्ध गोबर के साथ है. हमारे शारीर में जिस तत्व की कमी आ जाये उससे सम्बंधित गव्य का सेवन करने से उसकी पूर्ति हो जाती है और कोई भी रोग ठीक होता है. चुँकि यह प्रकृतिद रूप में काम करता है इस कारण इसमें समय लगता है. जिस गति के साथ शारीर में रोग बनाते हैं. उसी गति के साथ ठीक भी होता है. इस ठीक होने की प्रक्रिया में गति देना ही पंचगव्य अनुसन्धान एवं संसोधन है. जिसकी आज भारत को जरुरत है.
हमारे शारीर में जो कुछ भी है वह सभी गोमाता से मिलाने वाले ग्व्यों में है. गोमाता का दूध हम पहले से ही सेवन करते आ रहे हैं. मूत्र और गोबर का सेवन हम कृषि में उपजे हुए अन्न के माध्यम से करते थे. अब हमारे किसान खेतों में गोबर और गोमूत्र नहीं डालते इस लिए हमारे शरीर का सम्बन्ध गोबर और गोमूत्र से टूट गया है. जिसका नतीजा बीमारियाँ. और बीमारियाँ ऐसी की जिनका चिकित्सा भी नहीं. सारे थेरेपी असफल हो रहे हैं. ऐसे में क्या करें ?
एक ही रास्ता है गोमाता की शरण में जाना. उनके गव्यों का सेवन करना. और पाप मुक्त होना.
Dear Sir/Madam,
Me and my wife are suffering from HSV-2(Herpes). Is there any treatment available in panchgavya for this.
Thanks
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प्रणाम गुरुजी,
मेरी बेटी है जिनकी उम्र 7 वर्ष है जो न तो बैठ पाती,न ही चल पाती और न ही बोल पाती है क्रप्या समाधान बताइये।
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10 gram dhoop se 1 ton ya 1600 kilo O2 ka koi demo experiment aap apne youtube channel par upload kar sakte hain ?
10 gram dhoop se 1 ton ya 1600 kilo O2
Galat Sawal hai.
Guruji I have telephonic contact with your Dr. Mr. Vinayak Patio from last week about my husband’s health, (Mr. Sanjiv Chavan) as per doctor’s opinion and his discussion with he said I’m sending proper medicines and give me the your goshala anusandhan kendra’s account no of state bank of India. I have deposited rs 2608/- on 17.04.18 after that I am calling frequently for feed back but no response from him. Please look in the matter and give me the reponse
Thank u for information.
Our Teem will Contact u tomorrow morning 7am to 9am.
Respected
I want to know about the role of cow products in Agnihotra (Havan) scientifically. If you have any research or knowledge about, please provide.
Vande Matram
With Regards
Agnihotra mission
We Work on Gomaata not Cow.
Kis mahabhut ki kami se kaun as rog hota hai detail me please dejia
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Panchagavy me sardi khasi Bukhar ka kya treatment hai
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Who to addmation in your institute
Sabhi Log
Pronam guruji.
Jharkhand may aap ka jo chikitsalay hay uska address and phone no dijiye.