अक्षय तृतीय (9 मई 2016) को ब्रह्म काल में विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भूमि पूजा संपन्न हुआ.
पंचगव्य विश्वविद्यालय के लिए भूमि पूजा संपन्न
कांचीपुरम। अक्षय तृतीय ९ मई २०१६ को कांचीपुरम स्थित महर्षि वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केन्द्र द्वारा संचालित पंचगव्य गुरुकुलम् के विस्तार के रूप में पंचगव्य विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भूमि पूजा का कार्यक्रम ब्रह्म मूहुर्त में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर श्री महालक्ष्मी योगपीट्ठ के संस्थापक गुरुजी डॉक्टर कल्याणराम अय्यर ने विधिपूर्वक भूमि पूजा कार्यक्रम को संपन्न कराया। इस अवसर पर भारत भर में संचालित १९ पंचगव्य गुरुकुलम् विस्तार के गव्यसिद्धाचार्य और गुरुकुलम विस्तार संचालकों को संबोधित करते हुए गुरुकुलपति सेवारत्न गव्यसिद्धाचार्य डॉक्टर निरंजन वर्मा ने कहा कि यह भारत का अनूट्ठा गुरुकुल होगा जिसमें भारत में पहली बार गुरुकुलीय पद्धति से चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा को राष्ट्र भर में प्रसारित किया जाएगा। इस गुरुकुल की विशेषता होगी कि यहां पर भारत की सभी राष्ट्र भाषाओं में इसकी शिक्षा दी जाएगी।
विश्वविद्यालय की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसमें कुल ८ विंग होंगे। १) भारतीय गुरुकुल शिक्षा विभाग, २) भारतीय युद्धकला विभाग, ३) भारतीय चिकित्सा विभाग, ४) भारतीय अंतरिक्ष विभाग, ५) भारतीय शल्य चिकित्सा विभाग, ६) भारतीय रसायन-पाक विभाग, ७) भारतीय गणित विभाग और ८) भारतीय यंत्र विभाग।
यह विश्वविद्यालय वर्ष २०२० तक बनकर तैयार हो जाएगा। अभी वर्तमान में पंचगव्य गुरुकुलम एक ऐसे चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा प्रदान कर रहा है जिसमें गव्यसिद्ध डॉक्टर भारतीय गौमाता के दूध, गोबर और गौमूत्र से मानव, पशु-पक्षी और मिट्टी के सभी दोषों की चिकित्सा करते हैं। अभी मास्टर डिप्लोमा इन पंचगव्य थेरेपी की पढ़ाई हो रही है। जनवरी २०१७ से एडवांस पंचगव्य थेरेपी की शिक्षा आरंभ होने जा रही है। इसके बाद पंचगव्य मेडिसीन प्रिपरेशन टेव्नâोलॉली (पी एम पी टी) भी तैयार है। यह एक प्रकार से पंचगव्य फार्मेसी जैसा पाट्ठयक्रम है।
Muje apka panchagavya chikitsa padhdhati bahot achchha laga me apka dil se sukragujar hu k apne ye rajivbhai dixitji ka dikhaya huva marg chuna hai aur me bhi is marg me sahbhagi hona chahuga
लोग ऑन
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